Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein Written Update 6th January 2025

Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein Written Update 6th January 2025: हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब? मेरे छोटे से ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज मैं आपके लिए एक नई अपडेट लेकर आया हूं, तो चलिए बिना देर किये जान लेते हैं।

Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein Written Update 6th January 2025

Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein Written Update 6th January 2025

अस्पताल के कमरे की बंजर हवा में एंटीसेप्टिक और डर की गंध भरी हुई थी। डॉ. शर्मा के शब्द अनुभव के कानों में गूंज रहे थे, “हमें परिवार के किसी सदस्य के हस्ताक्षर चाहिए, मि. मोदी। आपकी पत्नी के पति या उनके किसी करीबी के।” अनुभव की नज़र अपने फ़ोन पर पड़ी, उसकी उंगलियाँ रजत के कॉन्टैक्ट पर घूम रही थीं। सावी के आंसुओं से सने चेहरे, उसके हाथ में मुड़े हुए तलाक के कागज़ात और उसकी दृढ़ घोषणा – “मैं उसका चेहरा फिर कभी नहीं देखना चाहती” – की यादें उसकी आँखों के सामने घूम गईं। वह रजत को शामिल नहीं कर सका।

घर वापस आकर, ईशा बेचैनी से इधर-उधर घूम रही थी, उसका दिल ढोल की तरह धड़क रहा था। अनुभव का ज़रूरी फ़ोन, उसके कानों में गूंजते “गंभीर हालत” शब्दों ने उसकी रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा कर दी। “शांतनु! सावी… सावी का एक्सीडेंट हो गया है!” वह चिल्लाई, उसकी आवाज़ कांप रही थी। शांतनु चौंक गया, उसके चेहरे पर पीलापन लिए हुए दौड़ा। भाग्यश्री ने शोरगुल सुनकर चिंता से आँखें फैला लीं, “सावी को क्या हुआ?” ईशा ने गुस्से से कहा, “भाग्यश्री, तुम इस सब से दूर रहो!” साई ने इस तनावपूर्ण बातचीत को देखा, उसकी भौंहें तन गईं, “क्या… क्या अम्मा का एक्सीडेंट हो गया?” ईशा कुछ बोल नहीं पाई, बस मुड़ी और शांतनु के साथ चली गई, और भाग्यश्री को साई की बढ़ती चिंता को शांत करने के लिए छोड़ दिया।

रजत, खोया हुआ और भ्रमित, अस्पताल के गलियारों में भटक रहा था, उसका दिमाग घूम रहा था। राजू की कॉल, “सावी सिटी अस्पताल में है,” ने उसे भावनाओं के भंवर में डाल दिया था। वह अपनी पत्नी को देखने के लिए आपातकालीन वार्ड की ओर भागा, लेकिन अनुभव ने उसे रोक लिया। “तुम उससे दूर रहो,” अनुभव ने गुस्से से भरी आँखों से कहा। “तुमने पहले ही उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर दी है।” रजत, हैरान, “तुम क्या बात कर रहे हो? सावी मेरी पत्नी है।”

“तुम्हारी पत्नी?” अनुभव ने उपहास किया, “वही जिसे तुमने चरित्रहीन कहा था? जिसने तुम पर तलाक के कागज फेंके थे?” हवा में तनाव की चिंगारी फूट पड़ी। “मैं तुम्हें उसके पास नहीं जाने दूँगा।” रजत का गुस्सा बढ़ रहा था, “तुम कौन होते हो मुझे रोकने वाले?” अनुभव की आवाज़ में तिरस्कार झलक रहा था, “मैं उसका दोस्त हूँ, रजत। उसका बचपन का दोस्त।” टकराव बढ़ता गया, आरोप-प्रत्यारोप और अपमान का एक उग्र आदान-प्रदान, जो हाथापाई में बदल गया। हंगामे से घबराए डॉक्टरों ने बीच-बचाव किया और उन्हें अलग किया। “मिस्टर मोदी,” डॉक्टर ने विनती की, “हमें तुरंत खून की ज़रूरत है। उसकी हालत गंभीर है।”

अनुभव, अपने गुस्से को कुछ पल के लिए भूल गया, तुरंत अपनी टीम से संपर्क किया, उसकी आवाज़ में तत्परता थी। “टाइप AB-नेगेटिव। अभी पता लगाओ!” रजत ने मौका भांपते हुए कहा, “उसका ब्लड ग्रुप क्या है?” अनुभव ने अपनी नज़रें बर्फीली करते हुए उसे अनदेखा कर दिया। मदद करने के लिए बेताब रजत ने कहा, “मैं दान कर सकता हूँ। मैं AB-नेगेटिव हूँ।” अनुभव की आवाज़ कटी हुई थी, “उसे तुम्हारे खून की ज़रूरत नहीं है, रजत।”

“लेकिन…” रजत ने शुरू किया, लेकिन अनुभव ने उसे बीच में ही रोक दिया। “तुम्हें उसका ब्लड ग्रुप भी नहीं पता, रजत। तुम कैसे दावा कर सकते हो कि तुम उसकी परवाह करते हो?” वह रुका, उसकी आवाज़ में कड़वी विडंबना थी, “क्या तुम उसके सपनों को जानते हो? उसकी आकांक्षाओं को? क्या तुम्हें पता है कि वह एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी? क्या तुम्हें पता है कि उसने अपने माता-पिता को खोने के बाद किन संघर्षों का सामना किया?” रजत, स्तब्ध, चुप रहा। “तुम्हें उसके बारे में कुछ नहीं पता, रजत। तुम सिर्फ़ वही जानते हो जो वह तुम्हें बताती है। लेकिन सावी… वह तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती है। और मैं तुम्हें बता दूँ, तुम सबसे बुरे इंसान हो जिनसे मैं कभी मिला हूँ।”

अनुभव का कर्मचारी खून लेकर आया, तनावपूर्ण माहौल में राहत की साँस बह गई। अनुभव ने बिना कुछ कहे, खून नर्स को सौंप दिया और देखते रहे कि खून को ऑपरेशन रूम में ले जाया जा रहा है। पछतावे से भारी दिल वाले रजत को आखिरकार अपनी अज्ञानता की गहराई, एक पति के रूप में अपनी विफलता की सीमा का एहसास हुआ।

परिवार के लोग आ गए, उनके चेहरे चिंता से भरे हुए थे। अनुभव, अपने दृढ़ निश्चय के साथ, ईशा को डॉक्टर के पास सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाने के लिए ले गया। डॉक्टर से मिली खबर बहुत ही भयावह थी। “उसकी हालत बहुत गंभीर है,” उसने गंभीर स्वर में घोषणा की, “उसके बचने की संभावना बहुत कम है।” कमरे में सिसकियाँ गूंजने लगीं, हवा में दुख और निराशा छा गई।

ईशा, जिसका दुख गुस्से में बदल रहा था, रजत से भिड़ गई। “तुमने! तुमने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी!” वह रो पड़ी, उसकी आवाज आँसुओं से भर गई। अनुभव ने उसे सांत्वना देने की कोशिश की, लेकिन शांतनु की आवाज हवा में गूंज रही थी, “अगर सावी को कुछ हुआ, रजत, तो मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा।” राजू, जिसका चेहरा गुस्से से विकृत था, “यहाँ से निकल जाओ! तुम ही उसकी इस हालत की वजह हो!” रजत, अपने दिमाग में उलझन में था, उसने सावी से कहे गए सभी आहत करने वाले शब्द, उसके प्रति दिखाई गई क्रूर उदासीनता को फिर से याद किया।

साई की छोटी और झिझकती हुई आवाज ने गमगीन माहौल को चीर दिया। “रजत… क्या मैं सावी से बात कर सकती हूँ?” रजत का दिल डूब रहा था, “वह… वह सो रही है, साई।” साई, उसकी आवाज़ में बच्चों जैसी आस्था थी, “कृपया… उसकी कलाई पर धागा बाँध दें। इससे उसे ठीक होने में मदद मिलेगी।” रजत, उसकी मासूम आस्था से प्रभावित होकर, अस्पताल के बिस्तर पर बेहोश पड़ी अपनी पत्नी को देखने लगा। उसे साई के शब्द याद आ गए, उसके भीतर उम्मीद की एक किरण जगी। वह धागा बाँधेगा। सावी के लिए।

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